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According to Hindu calendar 2023, Vivah Panchami 2023 date will seemingly be celebrated on seventeenth December 2023. The vivah panchami tithi will start at 8:00 PM on December 16, 2023 and end at 5:33 PM on December 17, 2023.
विवाह पंचमी हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी के शुभ दिन प्रभु श्री राम और देवी सीता का विवाह संपन्न हुआ था। प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को भगवान श्री रामचंद्र जी और देवी सीता जानकी के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री रामचंद्र जी द्वारा जनकपुर धाम में सीता जी के स्वयंवर में शिव जी के धनुष को तोड़ा गया था और सीता जी से विवाह किया था। विवाह पंचमी का उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है। अयोध्या और जनकपुर में यह अत्यंत ही भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहुत से तीर्थ यात्री अयोध्या और जनकपुर जगहों पर आते हैं और यहां प्रभु श्री राम जी के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाए जाने वाले एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार माना जाता है। किसी भी हिंदू शादी की तरह विवाह पंचमी का त्योहार भी कई दिनों पहले शुरू हो जाता है। सभी भक्तों द्वारा पूर्ण अनुग्रह, भक्ति और समर्पण के साथ इस अनुष्ठान का आनंद लिया जाता है। विवाह पंचमी उत्सव के दिन भक्त विवाह के मंगल गीत तथा श्री राम भजन का गायन घर और मंदिरों में सामूहिक रूप से किया जाता है।
विवाह पंचमी के ही दिन वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य उत्सव भी विवाह पंचमी भी मनाया जाता है। विवाह पंचमी का दिन बहुत ही शुभ और मंगलकारी दिन माना जाता है। भगवान श्री राम जी के भक्तों के लिए तो विवाह पंचमी का दिन तो और भी महत्वपूर्ण होता है।
राम और सीता भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के रूप में थे। जिन्होंने पृथ्वी लोक पर राजा दशरथ के पुत्र तथा राजा जनक की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का जन्म धरती से हुआ था। राजा जनक को एक नन्ही बच्ची मिली थी, जब वह हल जोत रहे थे। उस नन्ही बच्ची को उन्होंने सीता नाम दिया था। इसलिए सीता मैया जनक पुत्री के नाम से जानी जाती हैं। माता सीता द्वारा एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठा लिया गया था। जिसे भगवान परशुराम के अलावा कोई भी नहीं उठा सकता था। तब ही राजा जनक ने फैसला कर लिया था, कि वह अपनी पुत्री के योग्य उसी मनुष्य को समझेंगे। जो भगवान विष्णु के इस धनुष को उठा सकेगा और उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पाएगा।
राजा जनक द्वारा स्वयंबर का दिन तय किया गया तथा चारों और संदेश भेज दिया गया। कई बड़े बड़े महारथी ने इस स्वयम्बर का हिस्सा लिया। जिसमें महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्षमण भी दर्शक के रूप में शामिल हुए थे। कई राजाओं ने प्रयास किया, लेकिन कोई भी उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर की बात हैं धनुष को हिला ना सका। इस प्रदर्शन से दुखी होकर राजा जनक ने करुण शब्दों में कहा कि क्या कोई भी राजा मेरी पुत्री के योग्य नहीं हैं। राजा जनक की इस मनोदशा को देख महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा। अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम ने शिव धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लग गए। लेकिन वह धनुष टूट गया। इस प्रकार स्वयम्बर को जीत कर भगवान राम जी ने माता सीता से विवाह किया। माता सीता ने प्रसन्न मन से भगवान राम के गले में वरमाला डाली दी। इस विवाह से धरती,पाताल और स्वर्ग लोक में खुशियों की लहर दोड़ पड़ी कहा जाता है, कि आसमान से फूलों की बौछार होने लगी। पूरा ब्रह्माण्ड गूंज उठा और चारों तरफ शंख नाद होने लग गया। इस प्रकार आज भी विवाह पंचमी को सीता माता और भगवान राम के विवाह के रूप में पूरे हर्षो उल्लास से मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष विवाह पंचमी का उत्सव मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
विवाह पंचमी का उत्सव seventeenth December 2023 को होगा।
विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्री रामचंद्र और सीता जी का विवाह हुआ था। इस कारण से हर वर्ष प्रभु श्री राम और सीता जी के विवाह के सालगिरह को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
विवाह पंचमी का उत्सव अयोध्या और जनकपुर में भव्य रूप से मनाया जाता है।
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